A Review Of Shiv chaisa
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
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शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे ।
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भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका Shiv chaisa ही उद्धार हुआ
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र